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वे अपनी आंखों में समानता स्वतंत्रता का नीला सपना लिए चले थे

anita bharti

  अनिता भारती (Anita Bharti) ओम प्रकाश वाल्मीकि जी को याद करते हुए हमने अपनी समूची घृणा को/ पारदर्शी पत्‍तों में लपेटकर/ ठूँठे वृक्ष की नंगी टहनियों पर टाँग दिया है/ताकि आने वाले समय में/ ताज़े लहू से महकती सड़कों पर/ नंगे पाँव दौड़ते सख़्त चेहरों वाले साँवले बच्‍चे/ देख सकें कर सकें प्‍यार/दुश्‍मनों के बच्‍चों में/ अतीत …