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हम बाबासाहब को तो मानते है पर बाबासाहब की नहीं मानते

babasaheb-ambedkar speaking

  डाॅ मनीषा बांगरडॉ. जे डी चन्द्रपाल  जब तक साँस चलती रहती है तब तक जीवन चलता रहता है; मगर जब साँस रूक जाती है तो जीवन समाप्त हो जाता है | मगर क्या किसी महान व्यक्ति का जीवन उनकी साँस रूकने पर थम जाता है ?  ऐसा कहा जाता है की किसी व्यकित की …

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खालिस्तान की मांग, ब्राह्मणवाद और पंजाब आजकल

gurinder titan

  (गुरिंदर आज़ाद) Gurinder Azad 1987 में खालिस्तान की मांग उठी। एक अलग स्टेट, सिख स्वायत्तता के साथ। पंजाब में उस वक़्त की सामाजिक राजनितिक हलचलें आप ज़्यादातर लोग जानते हैं तो थोड़ा संक्षेप में बात रखता हूँ। 1978 की ‘खूनी’ बैसाखी जिसमे स्टेट स्पॉन्सर्ड ‘हिंदूवादी’ निरंकारियों के हाथों 13 सिख मारे गए और 1984 …