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दलित का बेटा हूँ साहेब, शब्दों की रांपी ज़रा तेज है

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  गुरिंदर आज़ाद के काव्य संग्रह ‘कंडीशन्स अप्लाई’ की समीक्षा Anita Bharti (अनिता भारती) युवा क्रांतिकारी कवि गुरिंदर आज़ाद दलित मुद्दों पर जितनी पावरफुल फिल्म बनाते है उतनी ही पावरफुल उनकी कविताएं है। क्योंकि कवि एक जागरुक सामाजिक कार्यकर्ता भी है इसलिए सामाजिक बदलाव व चेतना के जितने आयाम है वह उनसे रोज़-ब-रोज़ रुबरु होता …

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जट्टवाद एक दीर्घ रोग

s ajmer singh

  सरदार अजमेर सिंह (Sardar Ajmer Singh) (यह लेख सरदार अजमेर सिंह की बहुचर्चित किताब ‘बीसवीं सदी की सिख राजनीति: एक ग़ुलामी से दूसरी ग़ुलामी तक’ जो कि पंजाबी भाषा में है, से हिंदी में अनुदित किया गया है। सरदार अजमेर सिंह पंजाब के एक जाने माने इतिहासकार हैं। ब्राह्मणवाद की गहन समझ रखने वाले अजमेर …

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‘मैं शब्द-दर-शब्द कविता हूँ’: गुरिंदर आज़ाद के काव्य संग्रह ‘कंडीशंस अप्लाई’ का लोकार्पण

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  ‘कंडीशंस अप्लाई’ हिंदी काव्य संग्रह का लोकार्पण 29 सितम्बर (4:00pm – 8:00pm, Auditorium, SSS-I, JNU) को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में   गुरिंदर आज़ाद कवि और दलित एक्टिविस्ट हैं। उनके लेखे डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण, पत्रकारिता, सामाजिक विषय लेखन जैसे अन्य काम भी हैं। बठिंडा के एक मार्क्सवादी परिवार में जन्में। तज़ुर्बों की खाक़ छानते छानते …